वेश्यालय की मिट्टी से क्यों बनती है दुर्गा मां की प्रतिमा
दुर्गा पूजा शुरू होने के कई महीने पहले से ही मूर्ति का निर्माण कार्य शुरू हो जाता है.
मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति के निर्माण के लिए वेश्याओं की आंगन की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है.
अगर मां दुर्गा की मूर्ति बनाते समय
वेश्यालय की मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया गया हो तो, ऐसे में मूर्ति पूर्ण नहीं मानी जाती है प्रतिमा बनाने को लेकर कई मान्यताएं जुड़ी हैं
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कुछ वेश्याएँ गंगा स्नान के लिए गईं और घाट पर एक कुष्ठ रोगी को देखा, जो गंगा स्नान की गुहार लगा रहा था।
किसी ने उसकी बात नहीं सुनी, लेकिन वेश्याओं ने उसकी मदद की। वह रोगी वास्तव में भगवान शिव थे शिवजी वेश्याओं से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने को कहा।
वेश्याओं ने कहा कि उनके आंगन की मिट्टी के बिना दुर्गा प्रतिमा न बने। शिवजी ने उन्हें यही वरदान दिया, और तब से यह परंपरा चली आ रही है।
एक और मान्यता के अनुसार, जब कोई व्यक्ति वेश्यालय जाता है, तो वह अपने पुण्य और पवित्रता को उसके द्वार पर छोड़ देता है।
इसलिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी को पवित्र माना जाता है। यही कारण है कि मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए यह मिट्टी लाई जाती है।
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