रायगढ़।छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती गई है। प्रदेश की 90 विधानसभा शुरू हो सीटों पर दोनों मुख्य पार्टियों के अलावा अन्य छोटी पार्टियां और निर्दलीय भी अपना समीकरण फिट करने की जुगत में कमर कस चुके हैं। सभी को इंतजार है आचार संहिता लागू होने का । इसके बाद ही सभी के पत्ते ओपन होंगे। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत हासिल कर भाजपा का सूपड़ा ही साफ कर दिया था। खुद कांग्रेसी भी इस नतीजे से अचंभित थे। पर इस बार के चुनाव में मुकाबला कड़ा होने की सूरत बन रही है। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अभी तक अपने राजनीतिक कौशल से बाजी अपने हाथों में रखी है, पर राजनीति के जानकारों का कहना है कि वे खुद भी पिछला प्रदर्शन दोहरा पाने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। भाजपा अपने चाणक्य अमित शाह के मार्गदर्शन में अपना पूरा दमखम लगा रही है। ऐसे में , गफलत में ना तो भाजपा है और ना ही कांग्रेस रायगढ़ जिले में चार विधानसभा सीटों में रायगढ़ विधानसभा सबसे हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है। रायगढ़ जिले के मुख्यालय की सीट होने के कारण यहां की राजनीति पूरे जिले बार कांग्रेस के प्रकाश नायक ने भाजपा के दिग्गज नेता स्व रोशन अग्रवाल को हरा कर यह सीट जीती थी। हालांकि, उनकी जीत का श्रेय भाजपा के ही बागी उम्मीदवार विजय अग्रवाल को दिया जाता है जिन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर भाजपा प्रत्याशी रोशन अग्रवाल की हार सुनिश्चित कर दी थी।
प्रकाश नायक पर यह आरोप लगता रहा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में रायगढ़ विधानसभा के विकास के लिए कोई बेस काम नहीं किया। साथ ही कतिपय विवाद भी उनके साथ जुड़ गए। यह भी आरोप इनपर लगता रहा है कि उनकी सलाहकार मंडली उनके चारों ओर इस कदर हावी है कि आम कार्यकर्ताओं के लिए उनसे मिलना मुश्किल है। ऐसी नकारात्मक छवि और माहौल में आज रायगढ़ का एक सामान्य मतदाता भी इस बात को समझता और महसूस करता है कि प्रकाश की राह में आगे अंधेरा ही अंधेरा है। इसलिए यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि प्रकाश नहीं तो कौन ? यह सवाल कांग्रेस संगठन के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। एक सिटिंग विधायक को टिकट नहीं देने के अपने जोखिम हैं तो टिकट देने के अपने खतरे भी हैं। ऐसी स्थिति में रायगढ़ सीट से कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित होने को बहुत सारे बाहुबली और घना सेठ सक्रिय हो गए हैं जिनकी महत्त्वाकांक्षाएं अपार हैं। और यही कांग्रेस पार्टी की दुविधा भी है। आज की तारीख में कांग्रेस संगठन के लिए कोई ऐसा नाम तय करना बहुत टेढ़ी खीर है जो सर्वमान्य हो ।
◆सलीम पार्टी ही नहीं बल्कि जनता के भी चहेते◆
कांग्रेस के तमाम दावेदारों पर अगर बारीकी से निगाह डालें तो एक ऐसा नाम उभरकर सामने आता है जिसने कांग्रेस की सेवा में अपनी जिंदगी के तीन सुनहरे दशक अर्पित कर दिए। पर क्या मजाल जो कोई भी उसकी तरफ उंगली उठा सके। काजल की कोठरी में बेदाग रहने के मुहावरे को इस शख्स ने जमीनी हकीकत के रूप में तब्दील कर दिखा दिया कि आज की राजनीति के दलदल में भी कोई शख्स साफ सफ्फाक रह सकता है, बशर्ते उसका चरित्र उसका किरदार इतना पाक साफ हो। यहां हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के अजेय पार्षद सलीम नियारिया की।सलीम नियारिया आज की तारीख में अकेली ऐसी शख्सियत हैं जो कांग्रेस को इस चुनावी संग्राम में जिताने की कुव्वत रखते हैं। । आज देश और प्रदेश की राजनीति बहुत दलदली हो गई है, असहिष्णुता अपने चरम पर है, सांप्रदायिकता लोगों के दिलो दिमाग पर हावी हो गई है, भ्रष्टाचार की तो कोई सीमा ही नहीं रही।
आज के ऐसे माहौल में सर्व धर्म समभाव ही देश को शांति और समृद्धि के पथ पर ले जा सकता है। और आज की तारीख में सर्वधर्म समभाव का रायगढ़ में सलीम नियारिया से बेहतर और कोई दूसरा जीता जागता उदाहरण नहीं है।
◆राम नवमी और रामायण महोत्सव में भी सलीम ने पेश की थी भाईचारे की मिसाल◆
यह परंपरा अभी तक कायम है। साथ ही वे ईद मिलन समारोह भी उसी उत्साह और उमंग से मनाते चले आ रहे हैं। इन सब के अलावा लोगों के सुख दुख में साथ देना, आड़े समय में जरूरत के वक्त लोगों के साथ खड़े होना और हर संभव उनकी मदद करने से लोगों का प्यार उनका सद्भाव हासिल करने में सलीम कामयाब रहे। आज तक धर्म, मजहब, संप्रदाय, जाति ने कभी सलीम की राह नहीं रोकी। वे कहते हैं, एक दूसरे के प्रति प्रेम और सद्भावना होनी चाहिए। जो जिंदगी हमे ईश्वर ने दी है उसमें नफरत की कोई जगह नहीं है। हर सांस हमारी आखिरी सांस हो सकती है, तो ईश्वर ने जितनी जिंदगी हमें बख्शी है उसमें नफरत नहीं मोहब्बत होनी चाहिए। मोहब्बत और भाईचारा इंसानियत के लिए जरूरी है। हमहिंदुस्तानी है और हमारी परंपरा हमें सद्भावनासिखाती है।असहिष्णुता के इस माहौल में रामनवमी शोभायात्रा में शस्त्रत ए मोहब्बत पिला कर इंसानियत का फर्ज अदा करनेवाले सलीम कहते हैं कि यह उनके लिए यह सामान्य बात है। इस तरह के आयोजनों में उनका पूर्ण सहयोग रहता है। उन्होंने कहा कि इस बार तो हमने रामभक्तों को शरबत ए मोहब्बत पिलाया जिसे सभी ने काफी पसंद किया। वैसे भी रायगढ़ की तासीर काफी अच्छी है जहां सभी धर्म के लोग सद्भाव से रहते हैं।